कहां इतना आसान है...
कहां इतना आसान है...
स्त्री का टिक पाना किसी भी क्षेत्र में,
लोगों की तीखी नजर का सामना जब स्त्री का
चौखट से बाहर आना,
फिर पुरुषों के साथ मिल कर काम करना,
कितनी तिरस्कार और उलाहना सुनना,
समाज तो बाद में पहले अपनो की नज़र में खटकना,
कहां इतना आसान है...
एक स्त्री को स्त्री हीं बन कर रह पाना,
जीवन के हर मोड़ पर परीक्षा देना,
सही हो कर भी खुद को सही साबित कर पाना,
सरल तो नहीं है ना...
अपने हर जज़्बात को छिपाना,
कहां इतना आसान है.....
✍🏻कनु प्रिया
स्त्री का टिक पाना किसी भी क्षेत्र में,
लोगों की तीखी नजर का सामना जब स्त्री का
चौखट से बाहर आना,
फिर पुरुषों के साथ मिल कर काम करना,
कितनी तिरस्कार और उलाहना सुनना,
समाज तो बाद में पहले अपनो की नज़र में खटकना,
कहां इतना आसान है...
एक स्त्री को स्त्री हीं बन कर रह पाना,
जीवन के हर मोड़ पर परीक्षा देना,
सही हो कर भी खुद को सही साबित कर पाना,
सरल तो नहीं है ना...
अपने हर जज़्बात को छिपाना,
कहां इतना आसान है.....
✍🏻कनु प्रिया