"दाने से रोटी तक का सफर"
दाने से रोटी तक का है लम्बा सफर निहाली में
उतना ही लो थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में
सोचो किसान जलती धूप में कितनी मेहनत करता है
रूखी सूखी खाकर भी वो पेट हमारा भरता है
तरह-तरह के अन्न उपजाता, रहता खुद बदहाली मे
उतना ही लो थाली में व्यर्थ...
उतना ही लो थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में
सोचो किसान जलती धूप में कितनी मेहनत करता है
रूखी सूखी खाकर भी वो पेट हमारा भरता है
तरह-तरह के अन्न उपजाता, रहता खुद बदहाली मे
उतना ही लो थाली में व्यर्थ...