...

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तुम मुझसे प्रेम करती हो ?
"तुम मुझसे प्रेम करती हो "
"इसमें कोई शक है क्या तुमको "
"नही "
तो फ़िर चलो हम अपनी एक अलग दुनिया बनाते है
इन सबसे दूर एक अपना आशियां बसाते है ,,,,
"क्या कहा तुमने "
"वही जो तुमने सुना चलो अपने इन घर बार छोड़ के
मेरे साथ चलो ,, मैं तुम्हे खुश रखूंगा "
"नहीं मैं नहीं जा सकती "
"पर क्यों ,,क्या तुम मुझसे प्रेम नही करती ,,
....................तब प्रेमिका …................
नहीं मैं प्रेम तुम से तो बेशुमार करती हूं
और इसका मैं तुमसे इजहार भी करती हूं

तुम मेरे प्रेम का एक अध्याय हो ,,,
पर मेरे पापा मेरे इस प्रेम की लिखावट है

मैं तुम्हारे इस एक अध्याय के लिए
अपनी लिखावट को कैसे मिटा दूं

देखो मैं तुम्हारे इस प्रेम की कदर करती हूं
पर उससे पहले अपने पापा की भी फिक्र करती हूं

तुम कहते हो मेरे लिए जान दे सकते हो
पर मेरे भाई की जान मुझ में बसती है

मैं कैसे तुम्हारी इस प्रेम के लिए
अपने उस भाई के प्रेम को भुला दूं

मेरे बचपन में अपनी उंगली पकड़ के
मुझे जिसने चलना सिखाया था
हर कदम पर मुझे...