कुमकुम
ख़्वाबों के गलियारे में एक तस्वीर
सजाई है,
और छोटे से आंगन में
मधुमालती की बेल लगाई है।
कुछ दिन पहले चारपाई बुनवाई थी,
पास ही बेल के सेज सजाई है।
छत पर मैंने दो रस्सियां भी
कसवाई है।
रात में भीनी खुशबू हो
तो रातरानी भी लगवाई है।
खिड़कियों के लिए ग़ुलाबी पर्दे बनवाये है
कोई अंदर ना झांके इसलिए सिलवाए है।
चार कदम पे जो दरी पैर पड़े तो,
है ये वही हैं मैंने खुद बुनी संजोई है।
मंदिर में भी राधा कृष्ण की
मूरत भी सजाई हैं
तुलसी के बीजें भी
गमलों में डलवाई हैं।
शहर से मैंने इत्र भी मंगाया है
आज सुबह भी मैंने वही लगाया है।
चाय के लिए अदरक ,
और चटनी के लिए इमली
और दो मछलियाँ भी मंगवाई हैं।
अकेले मन नही लगता तो
मेज पे रखवाई हैं।
साथ वाले पेड़ पर झूला डलवाया है,
दीवार पे कैलेंडर पर
तारीख पर निशान भी लगाया है।
आल्ते से मैंने पाओं को रचाया है,
दानी में खत्म हो रहा कुमकुम भी मंगवाया है।
© maniemo
सजाई है,
और छोटे से आंगन में
मधुमालती की बेल लगाई है।
कुछ दिन पहले चारपाई बुनवाई थी,
पास ही बेल के सेज सजाई है।
छत पर मैंने दो रस्सियां भी
कसवाई है।
रात में भीनी खुशबू हो
तो रातरानी भी लगवाई है।
खिड़कियों के लिए ग़ुलाबी पर्दे बनवाये है
कोई अंदर ना झांके इसलिए सिलवाए है।
चार कदम पे जो दरी पैर पड़े तो,
है ये वही हैं मैंने खुद बुनी संजोई है।
मंदिर में भी राधा कृष्ण की
मूरत भी सजाई हैं
तुलसी के बीजें भी
गमलों में डलवाई हैं।
शहर से मैंने इत्र भी मंगाया है
आज सुबह भी मैंने वही लगाया है।
चाय के लिए अदरक ,
और चटनी के लिए इमली
और दो मछलियाँ भी मंगवाई हैं।
अकेले मन नही लगता तो
मेज पे रखवाई हैं।
साथ वाले पेड़ पर झूला डलवाया है,
दीवार पे कैलेंडर पर
तारीख पर निशान भी लगाया है।
आल्ते से मैंने पाओं को रचाया है,
दानी में खत्म हो रहा कुमकुम भी मंगवाया है।
© maniemo
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