...

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औरत
क्यों दबाते हो बंद कमरों मे उसकी आवाज़ को...
कभी उसे कहने तो दो
वो औरत है उसे खुल के जीने तो दो।।

तुम कहते हो हम साथ है तेरे
और रक्षाबंधन पर उसकी रक्षा का वचन भी देते हो...
पर वो तो खुद दुर्गा है
उसे कभी खुद को साबित तो करने दो
वो औरत है उसे खुल के जीने तो दो।।

उसे कहने दो, खुली हवा मे बहने दो
कुछ पँख दो और उड़ने दो...
नदियों की तरह बहने दो....
सागर की तरह रहने दो
वो औरत है, उसे कभी तो खुल के जीने दो।।