महाज्ञानी या महापापी
रावण का किया, सब कुछ अच्छा नहीं था,
दशानन के दस सिरों में, बस छल का ज़हर भी था,
आज की दुनिया में उसे, हीरो बना रहे,
उसके पापों को भूल, बस एक गलती गिना रहे।
पर सच्चाई ये है, रावण था लालची,
शक्तियों का भूखा, उसकी नीयत थी नापाकी,
कहते हैं बस सीता को ही लाया था वो,
पर कितनी औरतों का किया था उसने अपमान, जो दिखाते नहीं वो।
वो महाज्ञानी था, पर दिल था सड़ा हुआ, ...
दशानन के दस सिरों में, बस छल का ज़हर भी था,
आज की दुनिया में उसे, हीरो बना रहे,
उसके पापों को भूल, बस एक गलती गिना रहे।
पर सच्चाई ये है, रावण था लालची,
शक्तियों का भूखा, उसकी नीयत थी नापाकी,
कहते हैं बस सीता को ही लाया था वो,
पर कितनी औरतों का किया था उसने अपमान, जो दिखाते नहीं वो।
वो महाज्ञानी था, पर दिल था सड़ा हुआ, ...