...

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काश ! तुम होते, तो जीती आशाएँ !!

कई मर्तबा तुमने ,अनदेखा किया है !
उस हाल में दिल ,कैसे जिया है !!
अंदाजा लगा बैठकर तन्हा कभी ,
टूटे दिल से हमने जीवन कैसे जीया है !!

याद तुम्हें भी आई होगी ,कहीं कभी तो,
अँखियाँ आँसुओं से तरबतर हुई होगी !
मिलन की हूक उठी होगी तन्हाई में कभी
धड़कनों ने खैरियत की खबर सुनाई होगी !!

क्यों निष्ठुर बनें हो , ओ ! पत्थरदिल हरजाई !
जब तक टिकी हैं साँसें ,पूरी कर लें सारी साधे !!
टूटा दिल , टूटी उम्मीदें लेकर जाएँ तो जाएं कहाँ ...
काश ! तुम होते ,तो जीती आशाएं ,पूरे होते इरादे !!

© MaheshKumar Sharma
15/6/2023
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