दो परिंदे
1). दुनिया देखने के अरमान से निकले दो परिंदे आसमान में उड़े,
चला तेज हवा का एक झोखा गिरे निचे फिर उठे।
दिखती थी उन्हें अपनी मंजिल सिर्फ पाना मंजिल को ही था,
पर कतरने की हुई कोशिश उनकी वो पूरी लगन के साथ उड़े।।
2). हार मंजूर नहीं थी उन्हें दुनिया के लिए थे अनजाने,
टूट चूका था मनोबल उनका खुद को सहेज फिर उठे।
भरी उड़ान इतनी ऊँची खुद के परछाई को छोड़ा पीछे,
भर गयी थकान शरीर पर हरा कर थकान को फिर उड़े।।
3). बताया...
चला तेज हवा का एक झोखा गिरे निचे फिर उठे।
दिखती थी उन्हें अपनी मंजिल सिर्फ पाना मंजिल को ही था,
पर कतरने की हुई कोशिश उनकी वो पूरी लगन के साथ उड़े।।
2). हार मंजूर नहीं थी उन्हें दुनिया के लिए थे अनजाने,
टूट चूका था मनोबल उनका खुद को सहेज फिर उठे।
भरी उड़ान इतनी ऊँची खुद के परछाई को छोड़ा पीछे,
भर गयी थकान शरीर पर हरा कर थकान को फिर उड़े।।
3). बताया...