बस एक वाह की आस में
क्यूँ हर शायर हर गायक हर इंसान लिखता है,
क्यूँ कोई कलम से कभी ना कभी कुछ खोया हुआ बुनता है,
क्यूँ गैरों को अपनों से छुपाये किस्से सुनाए जाते हैं,
सोचा है कभी कि क्यूँ ये कलम चलाई जाती है!!
क्यूँ राज़ पन्नों पर बेपर्दा हुआ करते हैं,
क्यूँ ख़ाब लाल स्याही से मिलकर अक्सर मरा करते हैं,
सोचा है कभी कि क्यूँ लोग लिखा...
क्यूँ कोई कलम से कभी ना कभी कुछ खोया हुआ बुनता है,
क्यूँ गैरों को अपनों से छुपाये किस्से सुनाए जाते हैं,
सोचा है कभी कि क्यूँ ये कलम चलाई जाती है!!
क्यूँ राज़ पन्नों पर बेपर्दा हुआ करते हैं,
क्यूँ ख़ाब लाल स्याही से मिलकर अक्सर मरा करते हैं,
सोचा है कभी कि क्यूँ लोग लिखा...