शौर्य की भूली गाथा
मोहनदास ने सिखाया, मोमबत्ती पकड़ना,
हर गली मे जश्न, कमजोरी का मनाना,
वरना हम वो थे, जो लंका राख कर आते,
नारी-सम्मान में, रण का बिगुल बजाते।
अब हम झुककर, भीख में माँगें हक़,
जबकि हम वो थे, जो चीर के रखते सबक
हर रावण को उसकी, औकात दिखाते,
अधर्म पर आग बरसा के, न्याय को जगाते।
जो हाथ कभी, तलवार की धार पे चलते थे,
वो हाथ अभी, बंद मुट्ठी में पलते हैं,...
हर गली मे जश्न, कमजोरी का मनाना,
वरना हम वो थे, जो लंका राख कर आते,
नारी-सम्मान में, रण का बिगुल बजाते।
अब हम झुककर, भीख में माँगें हक़,
जबकि हम वो थे, जो चीर के रखते सबक
हर रावण को उसकी, औकात दिखाते,
अधर्म पर आग बरसा के, न्याय को जगाते।
जो हाथ कभी, तलवार की धार पे चलते थे,
वो हाथ अभी, बंद मुट्ठी में पलते हैं,...