संघर्ष
जीवन के संघर्षों में
नित्य पराजय के स्पर्शों में
अब एक मौन सा क्रंदन है
अब मंद होता प्राण स्पंदन है
आकांक्षाओं की वेदना में
धुंधली से इस चेतना में
कुंठा की भीम कंपन है
अब मंद होता प्राण स्पंदन है
#WritcoPoemPrompt41
Write a poem including as many of the following words (or variations on these words) as you like:
solecisms, connectome, recidivous, calico, performs.
© All Rights Reserved
नित्य पराजय के स्पर्शों में
अब एक मौन सा क्रंदन है
अब मंद होता प्राण स्पंदन है
आकांक्षाओं की वेदना में
धुंधली से इस चेतना में
कुंठा की भीम कंपन है
अब मंद होता प्राण स्पंदन है
#WritcoPoemPrompt41
Write a poem including as many of the following words (or variations on these words) as you like:
solecisms, connectome, recidivous, calico, performs.
© All Rights Reserved