पेशानी पर लट…
पेशानी पर लट…
पेशानी पर लट
तिल लबों के आस पास
जगा रहे हैं हसरतें
बढ़ा रहे हैं प्यास
निगाहें संगेमरमरी
और उन पर काजल की कोर
झुकी झुकी सी पलकें
बुलातीं हैं अपनी ओर
यूँ दामन का सरकना
यूँ...
पेशानी पर लट
तिल लबों के आस पास
जगा रहे हैं हसरतें
बढ़ा रहे हैं प्यास
निगाहें संगेमरमरी
और उन पर काजल की कोर
झुकी झुकी सी पलकें
बुलातीं हैं अपनी ओर
यूँ दामन का सरकना
यूँ...