...

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# नियति
इन्सान खिलौना है. क्रूर
नियति नटी का अक्सर ।
अदृश्य शक्तियाँ नियंत्रित करती
जज्बात और भावों से खेलती ।
चाहत मचलती तमन्नाएं दिल की
अक्सर कुचल दी जाती नटी से ।
बस ! मजबूरी कहकर टाल देते
बुद्धिमान खुद को कहाँ रोक लेते ?
लडखडाते, लहूलुहान होकर भी
निरंतर लडते, संघर्षरत..स्वयं ही ।
तकदीर, सिद्धांतवादीता, स्वभाव
या जीवनदर्शन - में ही रम जाते ।

© Bharat Tadvi