जिंदगी का सफर
मैं जमीन पर लेटा हुआ था
कुछ लोग बैठ कर रो रहे थे
बस मुझे ले जाने की देरी थी
सब अपने घर को जाने वाले थे
मैं भी चुपचाप लेटा रहा
सबकी बातें सुनता रहा
हर कोई कुछ कह रहा था
न जाने कौन किसको दोष दे रहा था
हर किसी ने मेरी तारीफ की
हर किसी के लिए मैं अच्छा था
कुछ वक्त पहले की...
कुछ लोग बैठ कर रो रहे थे
बस मुझे ले जाने की देरी थी
सब अपने घर को जाने वाले थे
मैं भी चुपचाप लेटा रहा
सबकी बातें सुनता रहा
हर कोई कुछ कह रहा था
न जाने कौन किसको दोष दे रहा था
हर किसी ने मेरी तारीफ की
हर किसी के लिए मैं अच्छा था
कुछ वक्त पहले की...