चाहत की मंडी में चाहत की मोल नहीं
चाहत की मंडी में चाहत की मोल नहीं
झूठी तस्वीरें उड़ रही है सच की तोल नहीं
आवारा जानवर सा घूमता है कुछ लफंगे
जिसका जीवन से कोई नापतोल नहीं
चाहत की,,,,,
किलो के भाव में बिक रहा रंग रूप
सफेद पोस्ट की कोई डोर नहीं
चंद खनकती सिक्के कर देते उस काम को
जिसकी कोई तोड़ नहीं
चाहत की,,,,,
...
झूठी तस्वीरें उड़ रही है सच की तोल नहीं
आवारा जानवर सा घूमता है कुछ लफंगे
जिसका जीवन से कोई नापतोल नहीं
चाहत की,,,,,
किलो के भाव में बिक रहा रंग रूप
सफेद पोस्ट की कोई डोर नहीं
चंद खनकती सिक्के कर देते उस काम को
जिसकी कोई तोड़ नहीं
चाहत की,,,,,
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