अग्नि के योद्धा
पूछे अग्निकुंड का सिद्धांत क्या था,
मैं बताऊं धड़ा धड़, ये वाकया खास था,
अग्निवंश के योद्धा थे चार,
चौहान, परिहार, परमार, सोलंकी सदा तैयार।
जब आए विदेशी, किया मंदिरों पे हमला ,
मूर्ति तोड़ी, किया यज्ञ को खंडित,
गाय को काटा, हमारे दिलों को जलाया,
तब उठे वीर, जिनमें अग्नि का जज्बा था छाया।
अग्नि की ज्वाला, योद्धाओं का मनोबल,
हमारी धरती, हमारी संस्कृति का कल,
सिंबोलिक रूप में पाई ताकत अपार,
इन योद्धाओं ने रोका...
मैं बताऊं धड़ा धड़, ये वाकया खास था,
अग्निवंश के योद्धा थे चार,
चौहान, परिहार, परमार, सोलंकी सदा तैयार।
जब आए विदेशी, किया मंदिरों पे हमला ,
मूर्ति तोड़ी, किया यज्ञ को खंडित,
गाय को काटा, हमारे दिलों को जलाया,
तब उठे वीर, जिनमें अग्नि का जज्बा था छाया।
अग्नि की ज्वाला, योद्धाओं का मनोबल,
हमारी धरती, हमारी संस्कृति का कल,
सिंबोलिक रूप में पाई ताकत अपार,
इन योद्धाओं ने रोका...