बचपन
आज बुलाओ उस नन्हे मन को,
जो छिप गया इस शोरगुल में।
रह रह देता रहा वो आवाज हमे,
करते रहे अनसुना हम बरसों उसे।
जीवन की इस...
जो छिप गया इस शोरगुल में।
रह रह देता रहा वो आवाज हमे,
करते रहे अनसुना हम बरसों उसे।
जीवन की इस...