...

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बुढ़ापे का ससुराल
पतिदेव ने मुझे यहां ब्याह कर लाया,
और पिता ने इसे ही मेरा ससुराल बताया,
डोली में बैठ सजधज कर आई यहां,
सोचा अब अर्थी पर ही वापस जाऊंगी,
पतिदेव संग सपने सजाए मैंने रंग बिरंगे
सोचा इसी कोने में हम बूढ़ापा बिताएंगे,
पर बच्चों के इस आधुनिक सोच ने,
सपनों को यूं बिखेरा तेज़ी से
मुझे क्या पता था ये सब कि ,
जब झुरियों का श्रृंगार चढ़ेगा ,
तो यह वृद्ध आश्रम की राह बताएंगे,
जिस घर से अर्थी निकलने की बात थी,
वहां से मरा...