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अनेक रंग ज़िन्दगी के
दुनियाँ को हमने हर ढंग में देखा है
राह-ए-ज़िन्दगी को हर रंग में देखा है
यूँ वक़्त का तो कोई भी रंग नहीं होता
क़िस्मत को मगर हमने हर रंग में देखा है
रहबर है कि रहजन है कैसे यक़ीन आये
हमने तो सियासत को हर रंग में देखा है
परवाने खिचें आते थे, वो भी ज़माना था
शम्मा को मगर जलते हर रंग में देखा है
किसको अपना कहे किसको कहें पराया
हमने तो मरासिम को हर रंग में देखा है
रहजन - दुःख देने वाला,
मरासिम- सबंध
© सोनी
राह-ए-ज़िन्दगी को हर रंग में देखा है
यूँ वक़्त का तो कोई भी रंग नहीं होता
क़िस्मत को मगर हमने हर रंग में देखा है
रहबर है कि रहजन है कैसे यक़ीन आये
हमने तो सियासत को हर रंग में देखा है
परवाने खिचें आते थे, वो भी ज़माना था
शम्मा को मगर जलते हर रंग में देखा है
किसको अपना कहे किसको कहें पराया
हमने तो मरासिम को हर रंग में देखा है
रहजन - दुःख देने वाला,
मरासिम- सबंध
© सोनी
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