शफ़ीक़
अपना घर छोड़ रहा है कोई
इस तरह बिखर रहा है कोई
सर्दी अब रूह को कपाने लगी
फिर से सिहर रहा है कोई
रिश्तों को इस कदर...
इस तरह बिखर रहा है कोई
सर्दी अब रूह को कपाने लगी
फिर से सिहर रहा है कोई
रिश्तों को इस कदर...