गया था
मुल्क जला दिया नफ़रत की आग में कोई
हमारी अकल को अंधा कर गया था,
जन्मों का साथ इसी जन्म में छूट गया इश्क़
की किताब का आखरी पन्ना जो भर गया था,
ज़िन्दगी निकल गई गैरों की खातिर जीते हुऐ
अपनों के लिए मैं बहुत पहले...
हमारी अकल को अंधा कर गया था,
जन्मों का साथ इसी जन्म में छूट गया इश्क़
की किताब का आखरी पन्ना जो भर गया था,
ज़िन्दगी निकल गई गैरों की खातिर जीते हुऐ
अपनों के लिए मैं बहुत पहले...