...

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एक हवा का झोका...
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
क्युं फिर यादों में समा गया,
शायद मारे मन को भा गया,
आया एक हवा का झोका,
फिर से दिल का कचरा निकाल गया,
इस दिल को फिर से कमल बना गया।
© राज