...

8 views

नारी
मैं कुछ लाइनें कहूंगी बस

भारत आजाद हुआ स्वतंत्र हुआ।

लेकिन नारी युगों युगों से
सिर्फ दासी थी।

ये हमारा दुर्भाग्य है।

की हम अपनी करुणा

या मजबूरी के चलते

दस्ता को हां कह देते है।

नारी की स्वंत्रता कोई
पुरुष दे ही नहीं सकता।

नारी सर्वथा खुद ही
गुलाम बनना जब तक
स्वीकार करती रहेगी।

उसे हमेशा हीन भावना
से ही देखा जायेगा।

कितनी पढ़ी लिखीं हो

मेहनती हो ।

मां हो बेटी हो या फिर बहु

नारी को हमेशा कलंकित
किया जाता है।

हालाकि कुछ अपवाद मौजूद
है समाज में मैं खुद
देख के दंग रही।

लेकिन क्या उन अपवादों के
चलते , समाज की
हर निर्दोष नारी को
सजा मिलेगी।

उसकी आत्मा तक को
कलंकित किया जायेगा।

बिलकुल भी नहीं

एक दिन वो वक्त आएगा
जब नारी अपने शस्त्रों
के साथ आगे बढ़ेगी।

और चीर देगी हर दुष्ट
आत्मा को ।

इसलिए अपना इतंजाम
कर लो।

क्योंकि नारी कमज़ोर
होती है ,ये मानने वाले
जब एक निडर नारी से
मिलेगा।

उसका कलेगा ना
कांप जाए ,तो कहना।

समाज के हर दुष्ट हीन
बुद्धि को ये बात कहना
चाहती हूं । की अगर
तुमको नारी में खोट नजर
आती है ।

तो जिस तरह की नारी तुम
चाहते हो।
सिर्फ वैसा रूप धारण करो।

मैं शर्त लगाकर कह सकती हूं।

तुम सब सिर्फ नारी का
रूप धारण कर के
तुम्हारा मन डर से आतंकित न
हुआ तो कहना ।

लेकिन हम नारी आत्मा के साथ है
झूठी नारी नही है।

नारी की पवित्रता पर उंगली
उठाने वाले ये समझ लो।

ईश्वर की कृति पर उंगली
उठा रहे हो।

मैंने देखा है उस तथकथिक
पुरुष समझ की उन बेललजित
आंखो को , जो एक गलत नारी को
उस दृष्टि से देखते है।जैसे कोई
बहुत सम्मानित नारी हो।

लेकिन वहीं किसी बच्ची सम्मानित
नारी को वो देख नहीं पाता
न जाने आंखो के होते हुए भी
अंधे क्यों हो जाते है।

अगर नारी इतनी बुरी लगती है।

तो मां के गर्भ से मत पैदा हो
पुरूष के गर्भ से पैदा हो जाओ।

देखती हूं कौन है वो ऐसा करने वाला।

😡😡😡😡

मैं लिखती ही नहीं
वक्त आने पर लड़ जाने
वालों में से हूं।

धिक्कार है ऐसे समाज
पर जहां झूठे आडंबर
गढ़ कर बदला लेने
के नाम पर नारी का
शोषण किया जाता है।

मैं अपने ईश्वर से प्रार्थना करती हूं।

की है ईश्वर अगर जीवन में
कोई भी कभी अच्छा कार्य किया हो
अगर उसका कोई फल देना चाहो
तो इस सम्पूर्ण जगत से
नारी को वापस ले लो
और छोड़ दो इन्हे
कोई नारी किसी की
पीड़ा सुनने को न
रहे ।

कोई कितना भी
चिल्लाए रोए
वापस न देना।

पुरुष न देख जात कुजात
धर्म अधर्म देशी विदेशी
हर नारी उसकी पैरो की जूती
जो पुरुष बनते है ।
जो ऐसे है
पुरुष के नाम पर ही कलंक है।






© Aarti kumari singh