...

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नारी
मैं कुछ लाइनें कहूंगी बस

भारत आजाद हुआ स्वतंत्र हुआ।

लेकिन नारी युगों युगों से
सिर्फ दासी थी।

ये हमारा दुर्भाग्य है।

की हम अपनी करुणा

या मजबूरी के चलते

दस्ता को हां कह देते है।

नारी की स्वंत्रता कोई
पुरुष दे ही नहीं सकता।

नारी सर्वथा खुद ही
गुलाम बनना जब तक
स्वीकार करती रहेगी।

उसे हमेशा हीन भावना
से ही देखा जायेगा।

कितनी पढ़ी लिखीं हो

मेहनती हो ।

मां हो बेटी हो या फिर बहु

नारी को हमेशा कलंकित
किया जाता है।

हालाकि कुछ अपवाद मौजूद
है समाज में मैं खुद
देख के दंग रही।

लेकिन क्या उन अपवादों के
चलते , समाज की
हर निर्दोष नारी को
सजा मिलेगी।

उसकी आत्मा तक को
कलंकित किया जायेगा।

बिलकुल भी नहीं

एक दिन वो वक्त आएगा
जब नारी अपने शस्त्रों
के साथ आगे बढ़ेगी।

और चीर देगी हर दुष्ट
आत्मा को ।

इसलिए अपना इतंजाम
कर लो।

क्योंकि नारी कमज़ोर
होती है ,ये मानने वाले
जब एक निडर नारी से
मिलेगा।

उसका कलेगा ना
कांप जाए ,तो कहना।

समाज के हर दुष्ट हीन...