...

6 views

गुलाब
गुलाब के पत्तों पे पड़ी,
वो सालों पुरानी धूल थी,
या थी यादों कि नमी,
वक्त की परत का असर था,
या क़ब्र में समा रही एक ज़िंदगी!
जुदा इस फूल की दास्ताँ ,
हमने उस पेड़ से सुनी,
जिसकी डालियों का सहारा था,
पर रही क़िस्मत की कमी॥
© Five Fifteen

Related Stories