Aaj phir ye tiranga lehraya hai
दूर सरहदो में गोलियाँ झेलके भी
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है;
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है;
एक सलाम उस मेहनती किसान को...
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है;
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है;
एक सलाम उस मेहनती किसान को...