...

7 views

बेरोजगार
नाथू लाल ने B.Ed करके,कितने छापे मारे
मास, दुमास परीक्षा दी, निरुद्यम रहे बेचारे
पिता के सर पर भार हुए हैं , जन दृष्टि में बेकार हुए हैं
निर्मूल निराधार हुए हैं ,क्योंकि बेरोजगार हुए हैं
कभी परीक्षा कैंसिल होती, कभी आयोग नकारे
कभी वेकेंसी आए ज़रा सी,लाखों पांव पसारे
कभी हो जाए पेपर लीक, रह जाते बिना सहारे
रहे कामना धन वैभव की, सर पर असंख्य उधार हुए हैं
सत्ता में जो कभी न आए, ऐसी अशक्त सरकार हुए हैं
विवाह योग्य भी हो न पाए, 28 अबकी बार हुए हैं
घर भर है मायूस फिक्र में, प्रफुल्लित रिश्तेदार हुए हैं
फिर भी बड़े काम के निकले, चुनावों का आधार हुए हैं
हर अवसर पर झट से फिसले, क्योंकि बेरोजगार हुए हैं।
-Twinkle Dubey
© metaphor muse twinkle