शायद यह प्रेम है
तुम कंधे पर सिर रखो
और वो तुम्हारे सिर के बालों पर
हाथ फेरते हुए कहे कि क्या हुआ
और तुम भरभरा कर रो पड़ो
और दिलो-दिमाग के कोनो में
डरी -सहमी ,तमाम उलझनें संकोच
सब एक-एक कर अपनी परतें खोलते जाएं और अंततः तुम खुद को हल्का महसूस करो शायद यह प्रेम है ;
अलमारी के कोनों में
सहेज कर रखी डायरियो में
रखे खतों को ,सूखे गुलाबों को जो
दशकों महकाये...
और वो तुम्हारे सिर के बालों पर
हाथ फेरते हुए कहे कि क्या हुआ
और तुम भरभरा कर रो पड़ो
और दिलो-दिमाग के कोनो में
डरी -सहमी ,तमाम उलझनें संकोच
सब एक-एक कर अपनी परतें खोलते जाएं और अंततः तुम खुद को हल्का महसूस करो शायद यह प्रेम है ;
अलमारी के कोनों में
सहेज कर रखी डायरियो में
रखे खतों को ,सूखे गुलाबों को जो
दशकों महकाये...