...

18 views

शायद यह प्रेम है
तुम कंधे पर सिर रखो
और वो तुम्हारे सिर के बालों पर
हाथ फेरते हुए कहे कि क्या हुआ
और तुम भरभरा कर रो पड़ो
और दिलो-दिमाग के कोनो में
डरी -सहमी ,तमाम उलझनें संकोच
सब एक-एक कर अपनी परतें खोलते जाएं और अंततः तुम खुद को हल्का महसूस करो शायद यह प्रेम है ;
अलमारी के कोनों में
सहेज कर रखी डायरियो में
रखे खतों को ,सूखे गुलाबों को जो
दशकों महकाये रखता हैं
शायद वह प्रेम है;

ये जान ,बाबू ,सोना ,शरीर -सेक्स
वाले इश्क की परिणति
मोबाइल की अश्लील तस्वीरों
और वीडियोज़ से होती हुई
अखबारी खबरों को खराब करती हुई
सड़क ,चौराहों ,रेल की पटरी ,कूड़ेदान को लाल(* वीभत्स लाल) करती हुई होगी


** लाल- श्रंगार प्रेम का रंग होता है **

यह प्रेम हरगिज नहीं है
प्रेम के अनेक रूप हैं
वात्सल्य, भक्ति ,संयोग -वियोग
किसी भी रूप में यह
लाल /केसरिया/ सफेद हो सकता है
पर वीभत्स नहीं होगा;;;;
निश्चय ही प्रेम को परिभाषित करते हुए आधुनिक उतावले बावले शब्दकोश
अंततः गलत साबित होंगे ।
" ग़ाफ़िल"