...

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बिना कहें तुम सब कुछ कैसे समझ पाती हो....
मेरे हर जस्बातों को तुम्हारे दड़कनो में कैसे बसाती हो....बताओ....
तुम बिना कहें सब कुछ कैसे समझ पाती हो....

मेरे हर ख्यालों को उन टीमटीमती तारों की तरह
रोशन कर देती हो....
बताओ...
तुम बिना कहें सब कुछ कैसे समझ पाती हो....

मेरे हर समस्याओ के हल तुम बनती हो...
बताओ तो सही..
तुम कैसे मेरे मन के कोने में छुपी हुई हर ख्वाहिश को पढ़ती हो....
सच में तुम बिना कहें
सब कुछ कैसे समझ पाती हो...

© lallitha