...

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जज्बात
दिल में है तू जुबां पर तेरा जिक्र है
पास है तू फिर भी तुझे खोने का कैसा यह डर है
मेरी हर धड़कन हर खयाल में तू है
दिल के हर एक जज्बात में तू है
ऐसी नहीं थी मैं जैसी हो गई हूं
मानो जैसे तुझ में ही खो गई हूं
तुम्हारे करीब आके खुद को ढूंढ लिया है मैंने
जिंदगी का हर मुकाम जैसे छू लिया है मैंने
बस अब यही डर है कि कहीं खुद को खो ना दूं
तुमसे दूर होकर कहीं जीना छोड़ ना दूं
जानती हूं रास्ते अलग है हमारे
चाहते हुए भी साथ नहीं मैं तुम्हारे
अगर हमेशा के लिए अलग होने हैं रास्ते हमारे
तो क्यों दूर जाते हुए पास आ जाते हैं हम
असल में तो है हम नदिया के दो किनारे


© Megha