शिक्षा का अधिकार... part 3
प्रदीप सिंह... बेटा तुम्हें तो सब आता है कहां से सीखा तुमने!
किशोर ....रतन सिंह और लाल सिंह मास्टर से!
प्रदीप सिंह ....पर तुम तो इस स्कूल में नहीं पढ़ते हो फिर कैसे सीखा!
किशोर... जब मास्टर साहब पढ़ाते हैं तो मैं दरवाजे के पास बैठ कर चोरी चुपके से सब पढ़ लेता हूं (प्रदीप सिंह की आंखों में आंसू आ जाते हैं)!
प्रदीप सिंह.... कमाल है जब तुम अपने आप इतना सब कुछ सीख सकते हो अगर तुम्हें सिखाया जाए तो तुम क्या क्या नहीं कर सकते आज से तुम्हारी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा मेरे पर है आज से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा तुम्हें काबिल बनाऊंगा!
ठाकुर साहब.... लेकिन सर यह तो नीची जाति का है हमारे बच्चों के साथ कैसे पढ़ाई कर सकता!
प्रदीप सिंह... शिक्षा पर सबका सम्मान अधिकार है अगर तुमने पढ़ने से रोका तो तुम्हें कानून कोई बता सकता है कानून ने इन सबके लिए नियम बनाए हैं तुम्हें शर्म आनी चाहिए कि तुम्हारी सोच इतनी गिरी हुई है!
(इस तरह किशोर प्रदीप सिंह की सहायता से
शिक्षा प्राप्त करता है साथी गांव के और बच्चे भी उसके साथ शिक्षा प्राप्त करते हैं और वहां पर जाति का कोई भेदभाव नहीं रह गया!)
इस बात को 20 साल बीत जाते हैं गांव में किशोर के माता-पिता अपने घर में होते हैं तभी एक गाड़ी की आवाज आती है राजेश और सुमित्रा दौड़ कर बाहर आते हैं और देखते हैं कि एक लाल बत्ती वाली गाड़ी होती है जिसमें से किशोर उतरता है किशोर अब जबलपुर गांव का जिला अधिकारी है वह अपने माता-पिता से कहता है कि देखे माता पिता जी मैंने कहा था भाग्य का लिखा बदला जा सकता है अगर उसे बदलने का हौसला हो तो !
राजेश.... कहता है हां बेटा तुमने सही कहा था तभी किशोर की फोन की घंटी बजती है किशोर फोन उठाता है!
किशोर... हेलो .जी सर.. ठीक है सर ..मैं आ रहा हूं!
राजेश.. क्या हुआ बेटा?
किशोर ....कुछ नहीं पिता जी मैं चलता हूं!
राजेश.. पर अभी तो तू आया है और अभी जा रहा है !
किशोर ...पिताजी एक बेटे का फर्ज तो निभा लिया अब अपने देश का फर्ज भी निभा लूं!
इस तरह किशोर ने कड़ी मेहनत करके अपनी मंजिल को पा लिया मेहनत हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है भाग्य का लिखा फिर बदला जा सकता है जैसे किशोर ने किया!
thank you all friends 😀😀😀😀😀😀
© neha
किशोर ....रतन सिंह और लाल सिंह मास्टर से!
प्रदीप सिंह ....पर तुम तो इस स्कूल में नहीं पढ़ते हो फिर कैसे सीखा!
किशोर... जब मास्टर साहब पढ़ाते हैं तो मैं दरवाजे के पास बैठ कर चोरी चुपके से सब पढ़ लेता हूं (प्रदीप सिंह की आंखों में आंसू आ जाते हैं)!
प्रदीप सिंह.... कमाल है जब तुम अपने आप इतना सब कुछ सीख सकते हो अगर तुम्हें सिखाया जाए तो तुम क्या क्या नहीं कर सकते आज से तुम्हारी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा मेरे पर है आज से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा तुम्हें काबिल बनाऊंगा!
ठाकुर साहब.... लेकिन सर यह तो नीची जाति का है हमारे बच्चों के साथ कैसे पढ़ाई कर सकता!
प्रदीप सिंह... शिक्षा पर सबका सम्मान अधिकार है अगर तुमने पढ़ने से रोका तो तुम्हें कानून कोई बता सकता है कानून ने इन सबके लिए नियम बनाए हैं तुम्हें शर्म आनी चाहिए कि तुम्हारी सोच इतनी गिरी हुई है!
(इस तरह किशोर प्रदीप सिंह की सहायता से
शिक्षा प्राप्त करता है साथी गांव के और बच्चे भी उसके साथ शिक्षा प्राप्त करते हैं और वहां पर जाति का कोई भेदभाव नहीं रह गया!)
इस बात को 20 साल बीत जाते हैं गांव में किशोर के माता-पिता अपने घर में होते हैं तभी एक गाड़ी की आवाज आती है राजेश और सुमित्रा दौड़ कर बाहर आते हैं और देखते हैं कि एक लाल बत्ती वाली गाड़ी होती है जिसमें से किशोर उतरता है किशोर अब जबलपुर गांव का जिला अधिकारी है वह अपने माता-पिता से कहता है कि देखे माता पिता जी मैंने कहा था भाग्य का लिखा बदला जा सकता है अगर उसे बदलने का हौसला हो तो !
राजेश.... कहता है हां बेटा तुमने सही कहा था तभी किशोर की फोन की घंटी बजती है किशोर फोन उठाता है!
किशोर... हेलो .जी सर.. ठीक है सर ..मैं आ रहा हूं!
राजेश.. क्या हुआ बेटा?
किशोर ....कुछ नहीं पिता जी मैं चलता हूं!
राजेश.. पर अभी तो तू आया है और अभी जा रहा है !
किशोर ...पिताजी एक बेटे का फर्ज तो निभा लिया अब अपने देश का फर्ज भी निभा लूं!
इस तरह किशोर ने कड़ी मेहनत करके अपनी मंजिल को पा लिया मेहनत हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है भाग्य का लिखा फिर बदला जा सकता है जैसे किशोर ने किया!
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© neha
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