...

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कभी कभी इंसानी लिबाज़ में वो फरिश्ते जैसा होता है...!!
अक्सर नींदें उड़ाकर , मेरे ख्यालों में आकर वो जो चुपके से भाग जाता है ... !!
हाँ मेरे साथ भी वो बिलकुल मेरे जैसा है ।

दूर होकर भी वो पास वाला एहसास कराता है जो रूठ जाऊँ तो बड़े प्यार से मनाता है ... !!
वो मौसमी बारिश की वो पहली बूँद जैसा है ।

हाँ वो ना गुस्से में कुछ भी कह जाता है , जो मुँह बनाऊँ तो सीने से लगा गज़ब का सुकून दे जाता है ... !!
सच कहूँ वो ना सूरज की पहली किरण के जैसा है।

कभी अचानक माथा चूमकर तो कभी तकिया छुपाकर सिरहाने बैठ सिर सहलाकर प्यार जताता है ... !!
वो ना नदिया के पवित्र पानी जैसा है ।

गिरे जो कभी आंचल तो वो अपनी नजरें झुका ले , जो कोई बुरी नज़रों से देखे उसकी मोहब्बत को वो उसको आईना दिखा जाता है .. !!
सच कहूँ वो इंसानी लिबाज़ में किसी फ़रिश्ते जैसा है।

मैं तो तुम्हारा ही हूँ , मैं कहाँ जाऊँगा कह मुझपर बड़े हक से उसका हक जताता है ... !!
हाँ मगर वो मन्नत के उस खूबसूरत धागे जैसा है ।

बेहद खूबसूरती से मेरे दर्द को मुस्कान में बदलने के लिए अपनी खुशियाँ न्यौछावर कर जाता है ... !!
सच वो ना पृथ्वी पर उस वट वृक्ष के जैसा है ।

कभी हँसाने के लिए बातें बनाता है कभी बिन कहे ही हाल ए दिल समझ जाता है ... !!
वो नासमझ यूँ तो समझदारी की दुकान जैसा है ।

मेरी खातिर हँसकर लोगों की बातें सुन जाता है जो मैं डाँटने जाऊ तो वो किल्लर वाली स्माइल दे गुस्सा गायब करा जाता है ... !!
हाँ वो ना उस चाँद की शीतल चाँदनी जैसा ही है ।

उसका यूँ कभी दूर से देख छिप जाना कभी दिल के करीब से गुजर जाना इस रूह को बैचैन कर जाता है ... !!
हाँ वो ना कभी उस हवा के ही जैसा है ।

महसूस तलक ना होने देता और चुपके से अंधेरे में बख़ूबी रोशनी कर जाता है ... !!
इस जहान में एक पवित्र जान जैसा है ।

मौसम की तरह बदल तो ना जाओगे पूछू गर मैं जो , तेरा साया हूँ मैं तेरे बिन कहा जाऊँगा कह जाता है...!!
हाँ जो कभी बेवक्त ना बदले उस वक़्त के जैसा है।

खैर मसला ये है कि उसका किरदार मेरी ज़िन्दगी में कभी ना मुकम्मल होने वाले उस ख़्वाब के जैसा है । हाँ उस ख़्वाब के ही जैसा है ।

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© Saloni saradhana 😎