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बोल
पता नहीं प्यार में दिल होते हुए भी पराया क्यों हो जाता है
मेरी हर खुशी उसकी मोहताज क्यों हो जाती है
हर पल उसके ख्वाबों में डूबे रहने की लत क्यों लग जाती है
चाहना तो सभी को चाहते हैं
लेकिन सच्ची चाहत तो केवल एक से ही होती है
वो समझते हैं कि में उनकी चालाकियां नहीं समझती
उन्हें क्या पता सब जानते हुए भी दरकिनार कर देती हू।।
© Mamta
मेरी हर खुशी उसकी मोहताज क्यों हो जाती है
हर पल उसके ख्वाबों में डूबे रहने की लत क्यों लग जाती है
चाहना तो सभी को चाहते हैं
लेकिन सच्ची चाहत तो केवल एक से ही होती है
वो समझते हैं कि में उनकी चालाकियां नहीं समझती
उन्हें क्या पता सब जानते हुए भी दरकिनार कर देती हू।।
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