मुहोब्बत भी और मुसिबत भी ...
जितना सोचोगे उतनी ही गहेरी होती जाती है,
मुहोब्बत भी और मुसिबत भी,
किसी मे भी डुब कर देखो मगर साथ ही चलती है,
परछाइ भी और...
मुहोब्बत भी और मुसिबत भी,
किसी मे भी डुब कर देखो मगर साथ ही चलती है,
परछाइ भी और...