...

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एक छोटी बूंद ...💦💦✍️✍️
मैं कब से गिर रही नभ से
बिछडन हो गयी सब से

प्यासे की प्यास बुझाऊगी
मैं हरियाली धरा पे लाऊंगी

मैं जा रही उन्माद तरंगों में
बंट जाऊं सतरंगी रंगों में

मेरी राह भटकाती है वायु
सागर में मिलूं तो बढ़े आयु

पर राह में हैं अवरोध बड़े
पेड पौधे झाड़ी गिरि...