...

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बेपनाह मोहब्ब्त!
इश्क को सोच की तराजू में तोल दिया जाता है।
महबूब को देख परख कर मोल किया जाता है।

कटती है रातें उन आशिकों की तन्हा तन्हा ही!
उदास रहा आशिक तब मजाक उड़ाया जाता है।

जात धर्म सोच समाज सब देती रही ताने उसे!
धीरे धीरे उसे तानों का ज़हर पिलाया जाता है।

जो मोहब्बत करते हैं दिल से और रूह से भी!
वैसे मोहब्बत को जन्मों तक निभाया जाता है।

वो दिल की बातें कभी कह न पाया किसी से!
इश्क़ के नाम पर सदा उसको रुलाया जाता है।

ख्वाबों में भी बस उसकी सूरत नज़र आती!
यादों के आइने में अक्स धुंधलाया जाता है।

सच्चा प्यार कहां अब किसी को नसीब होता!
हर कदम पर दिल को बेवजह सताया जाता है।

मंजिल की राह में मुहब्बत जो आ पड़ी तो!
दुनिया की रिवाजों में उसे दफनाया जाता है।
© महज़