3 views
थोथा चना बाजे घाना
आख़िर मिलता क्या है
लगाई बुझाई करने से
शायद एक सुकून
अपने ही कुंठित मन से
विचारों के उलझे जाल में
भ्रमित दिमाग की उपज
जैसे थोथा चना बाजे घाना
झोपडी उसकी रोशन क्यूँ
और महल मेरा जला क्यूँ
वक़्त की अजब है मार
और आवाज़ दूर कहीं दफ़न
© "the dust"
लगाई बुझाई करने से
शायद एक सुकून
अपने ही कुंठित मन से
विचारों के उलझे जाल में
भ्रमित दिमाग की उपज
जैसे थोथा चना बाजे घाना
झोपडी उसकी रोशन क्यूँ
और महल मेरा जला क्यूँ
वक़्त की अजब है मार
और आवाज़ दूर कहीं दफ़न
© "the dust"
Related Stories
5 Likes
0
Comments
5 Likes
0
Comments