...

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वो फिर याद आने लगा है..
दिल वो पुराना गीत गुनगुनाने लगा है ,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है ।

पन्नों में सूखा फूल दिल को फिर महकाने लगा है ,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है।

अधूरा हो या पूरा,चांद अब रोज मन भाने लगा है ,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है।

पहाड़ों की दीवानी को समंदर भी बुलाने लगा है,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है ।

देख कर आईना भी मुझे अब मुस्कुराने लगा है,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है ।

दिन में खयालों रात को ख्वाबों में सताने लगा है,
वो आजकल मुझे फिर याद आने लगा है ।
© Geeta Dhulia