अस्तित्व
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं
कर्म भूमि में जन्म लिया है,
कर्मो से न भागो तुम॥
भय में जीना,
कष्टों में रोना
यह तेरा व्यक्तित्व नहीं,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
बनो सफल कर मन दृढ़ निश्चय,
कर त्याग, तपस्या और प्रयत्न
पथ विमुख न हो
कर्महीन न हो
यहाँ तेरा अमरत्व नहीं,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
कौन सवेरा लायेगा
इस अन्धियारे तेरे मन में
कौन थाम के हाथ चलेगा
कोई नहीं है इस जग में
मत परवाह कर अपने कष्टों की
खोल कपाट अपने मन के
बन परिन्दा उड़ जा नभ में
जहाँ न कोई सीमा हो
चलकर गिरना
और फिर सम्भलना
है जीवन का मर्मत्व यही,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
© All Rights Reserved
© Amit Kushwaha
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं
कर्म भूमि में जन्म लिया है,
कर्मो से न भागो तुम॥
भय में जीना,
कष्टों में रोना
यह तेरा व्यक्तित्व नहीं,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
बनो सफल कर मन दृढ़ निश्चय,
कर त्याग, तपस्या और प्रयत्न
पथ विमुख न हो
कर्महीन न हो
यहाँ तेरा अमरत्व नहीं,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
कौन सवेरा लायेगा
इस अन्धियारे तेरे मन में
कौन थाम के हाथ चलेगा
कोई नहीं है इस जग में
मत परवाह कर अपने कष्टों की
खोल कपाट अपने मन के
बन परिन्दा उड़ जा नभ में
जहाँ न कोई सीमा हो
चलकर गिरना
और फिर सम्भलना
है जीवन का मर्मत्व यही,
ज्ञान नहीं मान हूँ मैं,
तेरे अस्तित्व की पहचान हूँ मैं॥
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