व्यथा
एक व्यथा है आ तनी
कुंठित विचारों की रूढियां
हैं प्रेम में बाधा बनी
इस नेह के संचार में
राह रोक हैं खड़ी
हैं चाहती लूटे मुझे
एक स्वप्न जो सजा लिया
इस विरंजत विश्व में
क्यों रंग का साया किया
इस घोर स्याह समाज में
क्यों इंद्रधनु बन रहा
यह स्वप्न मेरा एक का
समाज को क्यों खल रहा ?
मार दो इस स्वप्न को
हमसे निरंतर हैं कहते
गह जाए यह बात मुझमें
ऐसा सरल तो मैं नहीं
दिए कुछ वचन है इस आत्मा से
हटूं पीछे, ऐसा छली तो मैं नही
तो क्यों न आज इस राग पर
मैं प्राण अपने वार दूं
कर लिया शामिल जिसे हृदय में
कोई दूसरा न सार लूं
बस एक पीड़ा रह रही
एक कारक है यहां जो रोक रखा है मुझे
किया एक दीदार था उन आंखों का
अब श्रृंगार करना है मुझे
श्रृंगार करना है मुझे ।
© TofN
#Hindi
#tofn
#poem
#poetrycommunity
कुंठित विचारों की रूढियां
हैं प्रेम में बाधा बनी
इस नेह के संचार में
राह रोक हैं खड़ी
हैं चाहती लूटे मुझे
एक स्वप्न जो सजा लिया
इस विरंजत विश्व में
क्यों रंग का साया किया
इस घोर स्याह समाज में
क्यों इंद्रधनु बन रहा
यह स्वप्न मेरा एक का
समाज को क्यों खल रहा ?
मार दो इस स्वप्न को
हमसे निरंतर हैं कहते
गह जाए यह बात मुझमें
ऐसा सरल तो मैं नहीं
दिए कुछ वचन है इस आत्मा से
हटूं पीछे, ऐसा छली तो मैं नही
तो क्यों न आज इस राग पर
मैं प्राण अपने वार दूं
कर लिया शामिल जिसे हृदय में
कोई दूसरा न सार लूं
बस एक पीड़ा रह रही
एक कारक है यहां जो रोक रखा है मुझे
किया एक दीदार था उन आंखों का
अब श्रृंगार करना है मुझे
श्रृंगार करना है मुझे ।
© TofN
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