रांझा
रांझा सा मैं जोगन सी तुम
एक दूसरे से मिलते रहेंगे
जैसे मिलती है नृत्य से संगीत की धुन,
आओ चलो कही खो जाए
जैसे होते है हवा और बादल
एक दूसरे में गुम,
जब कुछ भी दिखाई ना दे तो
उम्मीद लेकर आना
जैसे लेकर आती हैं बंद कमरे में धूप,
कभी बिना दिखे मुझे
दूर से इस तरह निहारना
जैसे निहारती है रातों में
धरती को चांद-तारों की झुंड,
कभी बिना कहे मुझे
इस तरह गले से लगाना
लगाती है धरती को बारिश की बूंद,
एक दूसरे को इस तरह संभाल कर रखेंगे
जैसे घर के आंगन खेलते
बच्चो का हो जुनून,
मैं तुम्हारे आंखो में वो देख पाऊं
जैसे देखे मिलता है
मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे में सुकून,
शाम होते ही घर की खिड़की से तुम मेरी राह ताकना
जैसे घर लौटने वाला होता है
नादान कोई परिंदों का झुंड,
जब बाहर की दुनिया से मन भर जाए
तो किताबों की दुनिया में चले आना,
जैसे जिंदा है शादियों से
पुराने किरदारों में 'मैं और तुम,
तुम्हे हमेशा लिखता रहूंगा
जैसे मेरा ख्याल ही हो बस तुम,
रांझा सा मैं जोगन सी तुम।।
अमृत~
© Amrit yadav
एक दूसरे से मिलते रहेंगे
जैसे मिलती है नृत्य से संगीत की धुन,
आओ चलो कही खो जाए
जैसे होते है हवा और बादल
एक दूसरे में गुम,
जब कुछ भी दिखाई ना दे तो
उम्मीद लेकर आना
जैसे लेकर आती हैं बंद कमरे में धूप,
कभी बिना दिखे मुझे
दूर से इस तरह निहारना
जैसे निहारती है रातों में
धरती को चांद-तारों की झुंड,
कभी बिना कहे मुझे
इस तरह गले से लगाना
लगाती है धरती को बारिश की बूंद,
एक दूसरे को इस तरह संभाल कर रखेंगे
जैसे घर के आंगन खेलते
बच्चो का हो जुनून,
मैं तुम्हारे आंखो में वो देख पाऊं
जैसे देखे मिलता है
मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे में सुकून,
शाम होते ही घर की खिड़की से तुम मेरी राह ताकना
जैसे घर लौटने वाला होता है
नादान कोई परिंदों का झुंड,
जब बाहर की दुनिया से मन भर जाए
तो किताबों की दुनिया में चले आना,
जैसे जिंदा है शादियों से
पुराने किरदारों में 'मैं और तुम,
तुम्हे हमेशा लिखता रहूंगा
जैसे मेरा ख्याल ही हो बस तुम,
रांझा सा मैं जोगन सी तुम।।
अमृत~
© Amrit yadav