मैं इंसान
मैं इंसान
न मैं हिंदू न मैं मुस्लिम
मैं अदना-सा एक इंसान
मित्र प्रेम भाव को ह्रदय रखता, काम से रखना अपना काम।।
जात-पात न मेरी पूछो
उससे मुझको है क्या काम
ज्ञान विज्ञान से सीखता जाता, कुछ अनुभव भी देता मुझको ज्ञान।।
कर्मठ हूं मैं कर्म ही करता
परिणाम न होता मेरे हाथ
जो मिल जाता रख लेता हूं, मैं परिवार का रखता अपने ध्यान।।
मान-सम्मान की चाह भी होती
हो थोड़ा धन भी मेरे पास
कर्म-धर्म भी कर लेता हूं, सदा...
न मैं हिंदू न मैं मुस्लिम
मैं अदना-सा एक इंसान
मित्र प्रेम भाव को ह्रदय रखता, काम से रखना अपना काम।।
जात-पात न मेरी पूछो
उससे मुझको है क्या काम
ज्ञान विज्ञान से सीखता जाता, कुछ अनुभव भी देता मुझको ज्ञान।।
कर्मठ हूं मैं कर्म ही करता
परिणाम न होता मेरे हाथ
जो मिल जाता रख लेता हूं, मैं परिवार का रखता अपने ध्यान।।
मान-सम्मान की चाह भी होती
हो थोड़ा धन भी मेरे पास
कर्म-धर्म भी कर लेता हूं, सदा...