...

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कृष्ण संदेश
अँधेरों में साथ है क्या,
कहो दीया जला दूँ मैं!
सूरज की प्रकाशों से,
कहो उजाला चुरा लूँ मैं|
पर बोलो क्या सही होगा,
जो तेरी राह आसान करूँ?
तेरी हर एक मुश्किल को,
मैं अपने जो नाम करूँ|
मेरे लिए आसान है सब,
मैं नीर में आग लगा देता|
पत्थर तक को पानी में,
ख़ुद के नाम से तरा देता|
पर मेरा ये युद्ध नहीं,
तुम्हे ख़ुद इससे लड़ना होगा!
और कभी जो लड़ा नहीं,
हक उसे कभी मिला नहीं।
मस्तक में ये बात रखना होगा||
युद्ध तुम्हारा लड़ना तुमको,
जो काटे पर्, कुचलो उनको|
जो माने तुझको खिलौना,
उनके लिए तुझे क्यूँ रोना?
होगा तुमको अब ख़ुद लड़ना,
दुर्गा या चंडी बनना!
माना कभी अपने ही तुझको,
बोझ कहके बुलाते है,
बनके दिखाओ उनको लक्ष्मी,
लक्ष्मी उन्नति होते हैं|
थोड़ा सा है राह कठिन,
ये बात का मुझको ज्ञात सदा|
पर तु सबसे लड़ सकती है,
तु नारी स्वरूपा शक्ति है!
याद रख़ो मैं साथ तेरे,
हर मुश्किल में हूँ पास तेरे|
पर! जीवन तेरा, कर्म है तेरे
खुद तुझको लड़ना होगा|
कभी दुर्गा, कभी चंडी,
कभी लक्ष्मी बनना होगा।।


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