स्त्री.....
क्यूं एक स्त्री सबकुछ सहें..?
अगणित पीड़ाएं, दैहिक यातनाएं
सहस्त्र प्रताड़ना, तिरस्कृत भावनाएं
सख़्त दिवारों में, मृदु झोपड़ी में
मृत इच्छाओं में, रिक्त हृदय में
क्रंदन श्मशानों में, सुषुप्त श्वासों में
विह्वल, झंकृत जिजिविषा में
स्वयं का ठोस अस्तित्व तलाशें
क्यूं एक स्त्री सबकुछ सहें..?
रीतियों में, परंपराओं में, प्रथाओं में, बंदिशों में
विवशता में,...
अगणित पीड़ाएं, दैहिक यातनाएं
सहस्त्र प्रताड़ना, तिरस्कृत भावनाएं
सख़्त दिवारों में, मृदु झोपड़ी में
मृत इच्छाओं में, रिक्त हृदय में
क्रंदन श्मशानों में, सुषुप्त श्वासों में
विह्वल, झंकृत जिजिविषा में
स्वयं का ठोस अस्तित्व तलाशें
क्यूं एक स्त्री सबकुछ सहें..?
रीतियों में, परंपराओं में, प्रथाओं में, बंदिशों में
विवशता में,...