मंज़िल
मुश्किलें जरूर है, मगर ठहरा नही हू मै
मंजिल से जरा कह दो,अभी पहुंचा नहीं हूं
मैं
कदमो को बांध न पाएगी, मुसीबत कि
जंजीरे
रास्तों से जरा कह दो,अभी भटका नहीं हूं
मैं
सब्र का बांध टूटेगा,तो फना कर के रख
दूंगा
दुश्मन से जरा कह दो,अभी गरजा नहीं हू
मैं
दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि
चाहतें
मोहब्बत से जरा कह दो,अभी बदला नहीं
हू मैं
साथ चलता है, दुआओ का काफिला
किस्मत से जरा कह दो,अभी तनहा नही हूं
मैं....
© - Shivam Jha
मंजिल से जरा कह दो,अभी पहुंचा नहीं हूं
मैं
कदमो को बांध न पाएगी, मुसीबत कि
जंजीरे
रास्तों से जरा कह दो,अभी भटका नहीं हूं
मैं
सब्र का बांध टूटेगा,तो फना कर के रख
दूंगा
दुश्मन से जरा कह दो,अभी गरजा नहीं हू
मैं
दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि
चाहतें
मोहब्बत से जरा कह दो,अभी बदला नहीं
हू मैं
साथ चलता है, दुआओ का काफिला
किस्मत से जरा कह दो,अभी तनहा नही हूं
मैं....
© - Shivam Jha