...

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याद
तुझे भूलने के लिए...
पूरे दिन से झूजना पड़ता है...
की तू मत पूछ ये वक़्त कैसे निकलता है..।

चोट खुद पर खा कर...
पत्थर बनना पड़ता है...
मुझे यार सबके सामने बुरा बनना पड़ता है..।

तुझे खो कर..
मुझे वक़्त काटना पड़ता है...
मेरा दर्द मुझे ऊपर वाले से बांटना पड़ता है...।

बीतता लम्हा...
मुझसे सवाल करता है...
की तू उसके हाथों मर कर भी क्यों उसी से प्यार करता है..।

रोज एक एक लफ्ज़...
कम करते जाना है मुझे....
बस इतना चुप हो जाना है मुझे...
कोई पूछे मेरा हाल...
कुछ भी नहीं बताना है मुझे...
अभी और खुद को सताना है मुझे....
जलते हुए लाश के समान...
इतना तड़प जाना है मुझे...
मेरी परीक्षा मत पूछ....
जिसने मुझे खतम किया...
उसी से दिल लगाना है मुझे....
इस हद गुजर जाना है मुझे...
अकेले ही मोहबत को निभाना है मुझे....
बेवफ़ाई , रूखापन हंस के पी जाना है मुझे...
हर एक ज़ख्म अंदर तक खाना है मुझे...
खुद को बड़ा तड़पाना है मुझे।