खुदा की गुस्ताखी
इंसानों का ये दोष नहीं
खुद खुदा ने की गुस्ताखी है
एक समान गढ़ा होता जो सबको
भेद भाव का कोई पैमाना न होता
मर्दों को उनकी जात पर इतना गुमान न होता...
खुद खुदा ने की गुस्ताखी है
एक समान गढ़ा होता जो सबको
भेद भाव का कोई पैमाना न होता
मर्दों को उनकी जात पर इतना गुमान न होता...