...

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आलिंगन…
आलिंगन…

याद है तुम्हें

उस रात
जब मैं तुम्हें
तुम्हारे कमरे के दरवाज़े तक
छोड़ने आया था

और तुमने
कमरे के भीतर जाने से पहले
थाम लिया था मेरा हाथ
और सहलाने लगी थीं
मेरी उँगलियों के पोरों
और
मेरे नाखूनों को

तुम्हारे लबों का
यूँ क़रीब आकर
चूम लेना मेरे हाथ को
पैदा कर रहा था
इक अजब सी सिहरन
मेरे तमाम बदन में

जानती हो
उस रात कितने नशे में थे
हम दोनों
और
कितना आसान था
यूँ खो जाना
किसी के भी संयम का

जिस तरह...