...

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मंजिल

आंखों में हजारों सपने लिए
उड़ान भरने को तैयार हूं मैं।
बस अब तोड़कर सारी जंजीरे
आसमान छूने को तैयार हूं मैं।
कठोर परिश्रम से आज
जीत हासिल करने को तैयार हूं मैं।
सारे सपने सच करने को
जी जान से तैयार हूं मैं।
माना कि मुश्किले बहुत आइ
आज उन सब पर जीत आया हूं मैं।
सारी परेशानियों से लड़ते-लड़ते
बहुत कुछ सीख आया हूं मैं।
उड़ान बहुत भरा लेकिन
हर बार मंजिल पर पहुंच ना पाया मैं।
अंदर ही अंदर खूब रोया
लेकिन हार कर पीछे हटना नहीं सीखा में।
हजारों ठोकरें खाकर
आज भी खड़ा हूं मैं।
बहुत भगाया इस जिंदगी ने
लेकिन आज अपने मंजिल पर पहुंच ही गया मैं।

✍️ रोहित गुप्ता