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Happy Father's day
रास्ते हों कैसे भी,
उंगली पकड़ के चलना आपने सिखाया है।
मुश्किलें हों जैसे भी,
हर मुसीबतों से लड़ना आपने सिखाया है।
अपनी जरूरतें पीछे रखकर,
मेरी सारी ख्वाहिशों को पंख लगाया है।
पापा,आपने अपना हर फर्ज बखूबी निभाया है।
मेरी खुशियों में खुश,तो
मेरे दुखों में छिपकर, आंसु भी बहाया है।
मेरी हर छोटी छोटी कामयाबियों पर,
विजय का डंका खूब बजाया है।
पता नही भगवान ने किस मिट्टी से आपको बनाया है।
आपकी खुशी का अधिकतर भाग मेरे हिस्से आया है।
शब्द नही है मेरे पास, अब और लिखने को।
लिख भी तो उनपर रही हूं,जिन्होंने लिखना मुझे सिखाया है।।
उंगली पकड़ के चलना आपने सिखाया है।
मुश्किलें हों जैसे भी,
हर मुसीबतों से लड़ना आपने सिखाया है।
अपनी जरूरतें पीछे रखकर,
मेरी सारी ख्वाहिशों को पंख लगाया है।
पापा,आपने अपना हर फर्ज बखूबी निभाया है।
मेरी खुशियों में खुश,तो
मेरे दुखों में छिपकर, आंसु भी बहाया है।
मेरी हर छोटी छोटी कामयाबियों पर,
विजय का डंका खूब बजाया है।
पता नही भगवान ने किस मिट्टी से आपको बनाया है।
आपकी खुशी का अधिकतर भाग मेरे हिस्से आया है।
शब्द नही है मेरे पास, अब और लिखने को।
लिख भी तो उनपर रही हूं,जिन्होंने लिखना मुझे सिखाया है।।
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