कुछ भी पता नहीं
"घुटन सी है
आज के
इस मौसम में,
एक अबूझ
सन्नाटे से
भयभीत हूं।
जाने क्यों
"आशा"
निराशा में
बदलती सी
प्रतीत हो...
आज के
इस मौसम में,
एक अबूझ
सन्नाटे से
भयभीत हूं।
जाने क्यों
"आशा"
निराशा में
बदलती सी
प्रतीत हो...